इंजीनियरिंग कॉलेज कैसे चुनें: कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

क्या आप जानते हैं, आज देश में लगभग 3 हजार से ज्यादा इंजीनियरिंग संस्थान हैं और उनमें 150 से ज्यादा प्राइवेट, गवर्नमेंट, सेन्ट्रल गवर्नमेंट यूनिवर्सिटीज हैं। हर साल देश में 8 -10 लाख विद्यार्थी किसी न किसी इंजीनियरिंग संस्थान से इंजीनियरिंग कर रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों का मैथ्स व साइंस लेने के बाद इंजीनियरिंग करना इसके प्रति बढ़ते रूझान को दर्शाता है। इसका बड़ा कारण इंजीनियरिंग सेक्टर में विद्यार्थियों को ना केवल अच्छी नौकरियां मिलना है, अपितु विभिन्न क्षेत्रों में इंजीनियर्स बनने के बाद कॅरियर की अच्छी संभावनाओं का खुलना भी है, परन्तु हर साल बड़ी संख्या में 12वीं पास करने के उपरान्त विद्यार्थियों के सामने अच्छे इंजीनियरिंग संस्थानों को चुनने का प्रश्न खड़ा होता है, जिससे अभिभावक एवं विद्यार्थी असमंजस में दिखाई देते हैं l
किसी भी इंजीनियरिंग संस्थान का चयन करने से पहले उसके अकेडमिक प्लेसमेंट फीस, फेकल्टी, फेसेलिटी, एलुमिनि, खान-पान, लोकेलिटी, रैंकिंग, तकनीकी कॅरिकूलम एवं एक्सपोजर को देखना जरूरी होता है। आज देश के श्रेष्ठ संस्थान इन सभी बिन्दुओं पर विद्यार्थियों के चहुंमुखी विकास के लिए अत्यंत जोर देते हैं, जिससे विद्यार्थी इकॉनामी के विभिन्न क्षेत्रों जैसे इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी, आईटी सॉफ्टवेयर, फाइनेन्स, एनालिटिक्स, कंसलटिंग, रिसर्च एण्ड डवलपमेंट, सर्विसेज, एजुकेशन, एफएमसीजी एवं पीएसयू में अच्छे पैकेजेज पर प्लेस्ड हो जाते हैं। अमूमन विश्व की टॉप ब्रांड गूगल, माइक्रोसाफ्ट, एप्पल, फेसबुक विद्यार्थियों को 15 से 20, 30 से 35, 40 से 50 लाख एवं 1 करोड़ से अधिक के पैकेेजेज में देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों से चुनते हैं। क्योंकि इन संस्थानों में इन्हें उच्चतम योग्य विद्यार्थी आसानी से मिल जाते हैं।
आजकल देश के ज्यादातर इंजीनियरिंग संस्थानों में विद्यार्थियों के एनालिटिकल, लॉजिकल, एप्टीट्यूड को विकसित एवं एक्सप्लोर करने के लिए बहुत सी प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की जाती हैं, जिससे विद्यार्थी की भविष्य में आने वाली किसी भी प्रतिस्पर्धा एवं चुनौती का सामने करने की क्षमता बढ़ती है।

क्यों है शीर्ष आईआईटी-एनआईटी के बेहतर प्लेसमेंट

एदेश के शीर्ष आईआईटी बॉम्बे, दिल्ली, कानुपर, शीर्ष एनआईअी तिरछी, वारंगल, सूरतकल आदि में नवीनतम तकनीकी कॅरिकूलम के अनुसार ही विद्यार्थियों को अच्छे माहौल में पढ़ाया जाता है, जिससे प्लेसमेंट के समय कंपनियों की जरूरत को देखते हुए उन्हें अच्छे तकनीकी स्किल्ड विद्यार्थी काम करने के लिए मिल जाते हैं। अतः विद्यार्थियों को कॉलेज चयन के समय उपरोक्त सभी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

इंजीनियरिंग क्षेत्र में रोजगार की कमी को लेकर सवाल

अभिभावकों व विद्यार्थियों के मन में आज इंजीनियरिंग सेक्टर में रोजगार की कमी को लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं कि हर साल इतनी बड़ी संख्या में इंजीनियर्स देश में ग्रेजुएट हो रहे हैं तो उन्हें रोजगार के अवसर मिल पाता है या नहीं, जबकि वास्तविकता यह है कि यदि विद्यार्थी किसी सामान्य या नीचे की रैंक वाले इंजीनियरिंग संस्थान से डिग्री हासिल करता है या फिर विद्यार्थी की कॉलेज में पढ़ाई के दौरान अच्छी परफोरमेंस ना होना या अकेडमिक बैक आती है तो उसे प्लेसमेंट के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त कोई ऐसा बड़ा कारण नहीं है कि इंजीनियर्स को रोजगार ना मिले। अन्यथा देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के अनुसार यदि विश्व की सभी बड़ी कंपनियां भारत में निवेश करेगी तो सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर इंजीनियरिंग सेक्टर में ही खुलेंगे। हमने कोरोना काल में भी देखा है की शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों के स्टूडेंट्स ने कैसे उस विकट परिस्थति में भी कई तरह के संसाधनों का आविष्कार किया जो आम जन के लिए बहुत उपयोगी साबित हुए।

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