जानिए क्यों, दक्षिण भारतीय स्टूडेंट्स की पसंद बना कोटा
साल-दर-साल बढ रहा आंध्रप्रदेश व तेलंगाना के स्टूडेंट्स का आंकड़ा
क्यों है कोटा पहली पसंद
कोटा में पढ़ रहे दक्षिण राज्यों के स्टूडेंट्स के अनुसार यहां के कोचिंग संस्थानों की फीस दक्षिण राज्यों के कोचिंग संस्थानों की अपेक्षा कम है। कोटा के कोचिंग संस्थानों का प्रबंधन काफी अच्छा है। स्टूडेंट के स्तर को देखते हुए उसे तैयारी कराई जाती है। ऐसा नहीं होता कि सिर्फ सिलेबस पूरा करा दिया। कोटा कोचिंग मे प्रत्येक टाॅपिक को प्रायोगिक तौर पर फंडामेंटल समझाते हुए बताया जाता है। स्टूडेंट्स उसे बेहतर तरीके से समझ सकें। स्टूडेंट्स ने बताया कि दक्षिण राज्यों के कोचिंग संस्थानों में प्रबंधन अच्छा नहीं है। वहां क्लासरूम स्टडी का समय बहुत ज्यादा है। वहां स्टूडेंट्स एक जेल की तरह महसूस करते हैं। इसके अलावा वीकली या मंथली टेस्ट के रिजल्ट भी सार्वजनिक कर दिए जाते है, जिससे कमजोर परफाॅर्मेन्स वाले स्टूडेंट्स को शर्मिंदा होना पड़ता है। ऐसे में कई स्टूडेंट्स अवसाद में चले जाते हैं।
बेस्ट टीचिंग मैथेडोलाॅजी
कोटा के कोचिंग संस्थानों में अनुभवी फैकल्टीज पढ़ाती है। इसमें आईआईटी, एनआईटी और ट्रिपलआईटी से पासआउट इंजीनियर्स के अलावा मेडिकल काॅलेजों से एमबीबीएस करने वाले होनाहार युवा होते हैं। हर साल बदल रहे परीक्षा के पैटर्न के अनुरूप स्टूडेंट्स को परीक्षा के लिए तैयार किया जाता है। कोटा में छह घंटे की क्लासरूम स्टडी के बाद स्टूडेंट को आधे दिन का समय मिलता है। जिसमें वो सेल्फ असेसमेंट, होमवर्क व रिवीजन कर सकता है, जिससे कि डाउट्स सामने आते है। क्योंकि किसी भी टाॅपिक को तभी पूरा माना जाता है जब स्टूडेंट को उस टाॅपिक में एक भी डाउट नहीं हो। कोटा में इसके लिए क्लासरूम स्टडी के अलावा डाउट काउंटर्स की व्यवस्था भी है।
नेशनल लेवल का काॅम्पीटिशन