नीट में भी कम कट ऑफ के कारण करीब 50 फीसदी स्टूडेंट्स को काउंसलिंग के लिए आमंत्रित किया जाता है। हाल में जारी हुए नीट के रिजल्ट में फिर से कट ऑफ गिरी है। साल 2016 से नियमित रूप से नीट शुरू हो गया था। इससे पहले एआईपीएमटी होने के कारण कुछ स्टेट ही इसमें भाग लेते थे, इस कारण साल 2016 से पहले तक कट ऑफ ऊंची ही जाती थी। लेकिन अब दो साल से सामान्य कैटेगरी में 18 प्रतिशत अंक हासिल करने वाला भी नीट क्वालिफाई कर जाता है। सभी निजी व सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए नीट जरूरी है। ऐसे में ज्यादा फीस के कारण कम आय वर्ग के स्टूडेंट्स द्वारा छोड़ी गई सीट सक्षम परिवार के स्टूडेंट्स को मिल जाती है। नीट का स्कोर पर्सेंटाइल में जारी होता है। इसको प्रतिशत में गणना करें तो दो साल में नीट के क्वालीफाइंग प्रतिशत में करीब दो प्रतिशत की गिरावट आई है।
पर्सेंटाइल में जारी होता है स्कोर
सभी निजी व सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए नीट जरूरी है। ऐसे में ज्यादा फीस के कारण कम आय वर्ग के स्टूडेंट्स द्वारा छोड़ी गई सीट सक्षम परिवार के स्टूडेंट्स को मिल जाती है। नीट का स्कोर पर्सेंटाइल में जारी होता है। इसको प्रतिशत में गणना करें तो दो साल में नीट के क्वालीफाइंग प्रतिशत में करीब दो प्रतिशत की गिरावट आई है।
नीट के रिजल्ट में 2 फीसदी गिरा स्कोर
इस साल नीट के परिणाम आ चुके हैं। कट ऑफ स्कोर गिरा है। यह साफ है कि मुश्किल एग्जाम हैं। पर सीटें बढ़ने के बाद उनको भरने के लिए यह कट ऑफ गिराई जा रही है। नीट में तो एग्जाम देने वालों में से 50 प्रतिशत स्टूडेंट्स को काउंसलिंग के लिए बुलाया जाता है। ‘जागो विद्यार्थी जागो’ ने जब इस एग्जाम की कट ऑफ का एनालिसिस किया तो सामने आया कि नीट में सभी कैटेगरी में ही कट ऑफ गिर रही है।\

साभारः दैनिक भास्कर

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